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Thursday, August 11, 2016

भारत मे गैर सरकारी कम्पनियों का बढ़ता अत्याचार !!

 भारत मे गैर सरकारी कम्पनियों का बढ़ता अत्याचार !!  
भारत मे किसी गैर सरकारी कम्पनी मे काम करने वाले Employee की दुर्दशा आज की तारीख मे बिल्कुल वैसी ही है जैसे 1947  से पहले तक भारत मे भारतीयों की रही ! गैर सरकारी  कम्पनियों का मनमाना रवैया इस्टइंडिया कम्पनी के रूल रेगुलेशन से कही भी कम नही है ! भारत मे आज तीन श्रेणी मे गैर सरकारी कम्पनियां कार्यरत हैं
1-  प्रथम श्रेणी मे वो कम्पनी हैं जो अपने यहां काम करने वाले इम्प्लाई का शोषण तो करती है पर उन्हे उचित वेतन , पी०एफ० और मेडिकल की सुविधा भी मुहैया कराती हैं ! 
2- दूसरी श्रेणी मे वो कम्पनियां आती है जो काम के साथ साथ अपने ईम्पलाई का , मानसिक , शारिरिक ,और आर्थिक शोषण भी जम कर करती है , एेसी कम्पनियों मे इम्प्लाई के सामने सबसे बड़ी समस्या जो होती है वह टाईम बाऊण्ड की समस्या है एक आदमी से चार आदमी का काम लिया जाता है , कहने को ऑन पेपर 8 घंटे की ड्यूटी दिखाई जाती है पर इम्पलाई से 12 से 18 घंटे काम लिया जाता है ! ओ भी बिना किसी साप्ताहिक अवकाश दिए ! ईके स्वास्थ्य से उसकी सुरच्छा से Employers का कोई लेना देना नही होता है , उनका साफ फण्डा होता है Company Love Turn Over Not Employee,  अगर Employee कम्पनी के किसी नियम को गलत बताकर उसे फॉलो करने से मना करता है तो उसे धमकी भरे शब्दों मे चेतावनी दे दी जाती है- Please Love Your Job Only, Don't try to Enter Fair in the Rool of the Our Company ! इससे भी बात बनती न दिखी तो Employee का Harassment होना शुरू हो जाता है यह तब तक होता है जबतक कि इससे आजिज आकर कर्मचारी स्थिपा ना दे दे इस हरासमेन्ट के पिछे मझोली कम्पनियों का बस एक मकसद होता है लेबर वेलफेयर के झंझट से खुद को मुक्त रखना !
3- तीसरी श्रेणी की कम्पनियों मे वो छुटभईया टाईप की वो कम्पनिया आती है जिनका कोई माई बाप नही होता 5 - 9 लोगो ( कर्मचारियों ) के साथ भी यह काम शुरू कर देती है , यहां कॉल सेन्टर की तरह रोज Interview लिए जाते है और रोज छटनी होती है ! आप कह सकते है यहा दिहाड़ी मजदूरी जैसी तनख्वाह की ब्यवस्था होती है ! एक कर्मचारी से 10 लोगों का काम और 13 घंटे तक काम लिया जाता है , एेसी कम्पनियों मे इनका ओनर खुद को ओनर न दिखाकर डायरेक्टर का पद दिया होता है अपने ही अपनी खुद की पे स्केल तैयार करता है ! और ऑडिट की ऐसी ब्यवस्था कि इनके सारे गलत कामो पर किसी की कभी नजर ही ना जाए !
सब मिलाकर मुझ युवा का जो गैरसरकारी कम्पनियों के द्वारा मानसिक,हरासमेन्ट का स्वयम सिकार बन चुका है, इस गैर सरकारी कम्पनियों के मनमाने रवैये के खिलाफ कलम उठाने का बस एक ही मकसद है आज - कि 1947 के बाद भारत में गैर सरकारी कम्पनियो का स्टार्टअप ( प्रारम्भ ) द्रूतगति से हुआ जितने ही द्रूत गति से इनका स्टार्टप हुआ उतने ही द्रूत गति से रोजगार के अवसर भी बढ़े ! लेकिन सरकार की उदासिनता के चलते इन गैर सरकारी कम्पनियों की अपने कर्मचारियों के प्रति तानासाही भी बढ़ती गयी हम कह सकते हैं एक इस्ट इंडिया कम्पनी भारत से गयी और हजारो स्थानीय भारतीय इस्ट इंडिया कम्पनी का भारत मे अभ्युदय हो गया ! इस अभ्युदय का क्रेडिट सरकार को ही जाता है क्योंकि सरकारी रोजगार के अवसर की कमी के चलते infrastructure ( इनफ्रासट्रेक्चर ) का अभाव बढ़ा इस अभाव का खामियाजा गैर सरकारी कम्पनियों मे काम करने को विवस कर्मचारियों पर पड़ा ! आज स्थिति यह है कि जनसंख्या के आंकड़ो , और  सरकारी नौकरी के अवसर के बीच जमीन आसमान का अंतर है ! अत: बेरोजगारी से बचने के लिए गैर सरकारी कम्पनियों मे काम करने और उनका मनमाना अत्याचार सहने को कर्मचारी मजबूर है ! हर पल वह वहां घुट कर काम करने को मजबूर है ! सरकार बेपरवाह है आखिर क्यो ? यह एक बड़ा सवाल है आखिर सरकार को एेसा कौन सा ब्यक्तिगत फायदा है इन स्थानिय भारतीय इस्टइंडिया कम्पनियों से कि वह इसमे काम करने वाले कर्मचारियों के दु:ख दर्द से बेपरवाह है ! भारत के गांवों को वाई-फाई से जोड़ देने का संकल्प लेने वाली तत्कालीन भारत सरकार से एक सवाल - गांवो को बिजली मुहैया कराने से पहले कैसे जोड़ देगे आप उन्हे वाई-फाई से ? दूसरा सवाल देश के 25 करोड़ बेरोजगार युवावों को रोजगार के अवसर दिए बिना कैसे सफल हो पायेगा आपका स्टार्टअप मेक इन इंडिया का सपना ? क्या 25 करोड़ युवावों की बेरोजगारी , गैर सरकारी कम्पनियों मे हो रहे उनके सोषण को अनदेखा कर देगी वर्तमान भारत सरकार ? गैर सरकारी कम्पनियां जहा हमारे शोषण का कोई क्राईटेरिया ( Criteria )नही होता सबकुछ मनमाना होता है क्या उनपर कोई लगाम कसी जायेगी ? ऐसे कम्पनी मालिक जिन्होने कम्पनी की नीव रखी पर हजार तरह की सरकारी प्रक्रिया से बचने के लिए खुद को ईम्प्लाई दिखाते है क्या उनके लिए कोई मानक बनाया जायेगा या सब कुछ हवा हवाई ही रहेगा ? अगर जरा सी नजर पैनी की जाए तो इसका जो सच सामने आयेगा उसके केन्द्र मे भारत के प्रधानमंत्री का ही चेहरा नजर आता है ! फ्यूचर ऑफ स्टार्टप इन इंडिया तभी सफल होगा जब भारत मे गैर सरकारी कम्पनियों की तानासाही और मनमानी ब्यवस्था पर नकेल कसी जायेगी ! जब उनकी गलत ऑडिट ब्यवस्था की जांच होगी ! छोटी कम्पनी ,बड़ी कम्पनी, मुद्रा ब्यवस्था, लेबर वेलफेयर की पारदर्शिता , कम्पनियों के लूट खसोट ,गैर तरीके के मुनाफा पर सरकार सतर्क होगी !
15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ था, आजादी की खुशी क्या होती है इसे शब्दों में बयान कर पाना मुश्किल है ! हमारे आदरणिय प्रधानमंत्री जी से अनुरोध है कि 5 दिन बाद अपना स्वतंत्रता दिवश भारत सेलिब्रेट करने वाला है , आजादी की इस सालगिरह पर भारत के वर्तमान युवावों को भी आजादी दिलवा दीजिए -
बेरोजगारी से आजादी !    
गैरसरकारी छुटभैया, बड़भैया, और मझोली , स्थानिय भारतीय इस्टइंडिया कम्पनियों के अत्याचार से आजादी ! सच कहता हूं प्रधानमंत्री जी अगर इस स्वतंत्रता दिवश पर यह उपहार आपने दे दिया हम युवावो को 75 percent आपका स्टार्टअप मेक इन इंडिया का सपना सच हो जायेगा और हमारा आपर भरोसा भी बढ़ जायेगा !           
साभार  कलम से :- आदि परौहा
                           ( प्रदीप दूबे )         
दिनांक  :-         10/08/2016