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Wednesday, April 30, 2014

हमने देखा है केंद्र में 2004 से 2014 तक की (UPA) की सरकार , और हमने देखा था केंद्र में 1998 से 2004 तक भा.ज.पा. की सरकार को भी !!



                                                                                  

हमने देखा है केंद्र में 2004 से 2014  तक की  (UPA) की सरकार ,

और हमने देखा था केंद्र में 1998 से  2004  तक भा..पा. की सरकार को भी !!

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वर्ष 1999  सदैव गर्व  से याद किया जाता रहेगा  भारतीय इतिहास में

करगिल युद्ध  के दौरान ऑपरेशन  विजय  के लिए ,!

क्यू की इस वर्ष भारत ने दुनिया के सामने एक नज़ीर रखा था ,

और पडोसी देश पाकिस्तान द्वारा जबरजस्ती थोपे गए करगिल युद्ध

का करारा और मुह तोड़ जवाब दिया था पाकिस्तान को , !!

मित्रो उस समय देश में जिस पार्टी की सरकार थी उस पार्टी का नाम भाजपा है !

इसके मुखिया उस समय परम आदरणीय अटल विहारी बाजपेई जी थे ,

जो उस समय हमारे देश के प्रधानमंत्री थे ,!

दोस्तों स्वतंत्रता के बाद का भारतीय इतिहास उठा कर देखे तो भाजपा (जनसंघ )

को देश की सत्ता की बागडोर सम्हालने का सबसे कम अवसर मिला है ,

किन्तु जब भी मिला उसने गौरवपूर्ण इतिहास रचा है !

वर्ष 1999 कारगिल युद्ध एवं करगिल युद्ध  के दौरान ऑपरेशन  विजय

इस बात का गवाह है !

मित्रो हमारा मुखिया कौन है , कैसा है उसका ब्यक्तित्वा , कैसा है उसका कृतित्वा कैसा है यह अपने आपमें बहुत अहम मुद्दा है ! अगर हमारा मुखिया साहसी है ,पाक - साफ़ है

तो यह तय है उसका प्रतिनिधित्व एक स्वर्णिम इतिहास लिखेगा भले ही उसे

बहुत काम समय का अवसर मिला हो सत्ता में रहने का !



मित्रो हम  वर्ष 2004 से अबतक की Congress-led United Progressive Alliance (UPA) का कार्यकाल भी देख रहे है , देश में  भूख, भय , भ्रष्टाचार के साथ - साथ अशिक्षा , का आलम अपने चरम पर है , भारतीय रूपये की सांख गिरने से लेकर तमाम तरह से देश की दुर्गति होते और भारत का सर दुनिया के सामने झुकते हुए हमने देखा है ! अपने भारतीय होने पर भी इन 10 साल में हमे शर्म महसूस हुई है , चुल्लू भर पानी में डूब मरने जैसी दुनिया के सामने हमारी स्थिति हो गई है !

हमारा पौरुष , हमारा स्वाभिमान हर क्षण चूर- चूर हुआ है ! इन 10 वर्षो में जब सीमा पर तैनात हमारे सैनिक भाइयों का सर पाकिस्तानियो द्वारा काटकर उनकी बिना सर की लास हमे भेजी गई , उस क्षण ऐसा महसूस हुआ जैसे कोई किसी गूंगे के मुह पर थूक कर चला गया हो और वह चुप बैठा अपनी बेचारगी पर आंसू बहा रहा हो !, जैसे किसी बहरे के सामने उसकी माँ को गाली देकर कोई चला गया हो और अपने बहरेपन के चलते वह सुन पाया हो और चुप रह गया हो ! मित्रो  उस क्षण  United Progressive Alliance (UPA) सरकार की खामोसी देखर जिस अपमान की अनुभूति हुई वह कुछ ऐसा था जैसे किसी अपाहिज की माँ - बहन को उसकी आँख के सामने कोई नंगा कर के चला गया हो और वह अपाहिज अपनी मज़बूरी का रोना रो रहा हो !



मित्रो हमने 1998 से  2004. अटल विहारी बाजपाई का कार्यकाल देखा है ..........

इस कार्यकाल के दौरान  परम आदरणीय अटल जी को बार - बार यह कहते हुए मंच से सुना भी है -



"हार  नहीं   मानूंगा  रार  नहीं  ठानूंगा

काल  के  कपाल  पे  लिखता  मिटाता  हूँ

गीत  नया गाता  हूँ "



मित्रो यह सिर्फ उनके द्वारा लिखी गई एक कविता नहीं थी जिसे अक्शर उनके मुख से

सुनने का अवसर हमे मिल जाता था , बल्कि उनकी यह रचना

देश के प्रति उनके पूर्ण समर्पण की गवाह भी थी ,

उन्होनो अपने कार्यकाल के दौरान  अपनी इस रचना की एक - एक पक्ति

एक - एक शब्द को जिया है, चरितार्थ किया है ,

आदरणीय बाजपेई जी ने कभी रार नहीं ठाना और अगर किसी ने ठाना तो उसका  करारा जवाब दिया ! अगर आगरा में पलक - पावड़ा बिछा कर परवेज मुशर्रफ का स्वागत किया अपनी दूरदर्शी सोच का परिचय दिया , अतिथि देवो भवः की भारतीय संस्कृति का पालन किया तो परवेज मुशर्फ द्वारा भारत पर थोपे गए कारगिल युद्ध के समय सेना का   हाथ पैर मुक्त रखा दुसमन को उसके किये की सजा देने के लिए ! ,

और परवेज मुशर्फ को उनकी गद्दारी की सजा के रूप में उन्हें पराजय का मुह दिखाया !

मित्रो आज अगर हम किसी भी भेद - भावपूर्ण सोच को त्याग दे ,

निरपेक्ष भाव से बात करे एक सच्चे भरिय नागरिक के तौर पर बात करे

तो पाएंगे 2004 से 2010  का (UPA) का कार्यकाल

देश के पतन का कार्यकाल रहा है !

हमारी तीनो सीमाओं पर खतरे बढे है , !

एक तरफ चीन की दादागिरी देखने को मिली तो दूसरी भारत - पाक सीमा पर

देश रक्षा में खड़े हमारे सैनिक असुरक्षित दिखे ,

2004 से  2010  अनगिनत सैनिको के सर काट कर हमे भेजे गए !

तीसरी भारत - बांग्ला देश सीमा पर सर्नार्थियों का संकट बढ़ा है !

तीनो सीमा पर बढ़ा यह खतरा जिसे  (UPA) सरकार ने बहुत हल्के में लिया ,

आने वाले समय में हमारे देश के लिए एक बड़े संकट का  संकेत है !

10  साल पहले भारत निर्माण का संकल्प लेकर जो सरकार देश में बनी उसने

भारत को कई तरह से उजाड़ा बर्बाद किया , युवा आज भी उहापोह की स्थिति

में है रोजगार परक शिक्षा के बाद भी उसके हाथ में रोजगार नहीं वह दिग्भ्रमित है ,

राहुल गांधी ने युवा शक्ति का आह्वान करते हुए 2004 में देश के युवावों  से एक वादा

किया था वह वादा था उनके सतत विकास का वादा ! आज यह  कहना तर्कसंगत होगा की इसी

वादे के दम पर UPA सरकार सत्ता में आई भी थी किन्तु राहुल गांधी का युवावों से

किया गया वह वादा सिर्फ वादा बनकर ही रहा, देश के  युवा आज भी राहुल गांधी

द्वारा दिया गया झुनझुना हाथ में लिए घूम रहे है ! दूसरी बार भी युवावों को उल्लू

बनाया राहुल गांधी जी ने और उनके हाथ में फिर सपनो का ढेर सारा लॉलीपॉप पकड़ा दिया ! इससे हमने  देश के सिर्फ एक युवा का विकास होते हुए देखा उसका नाम है ,

रॉबर्ट वाड्रा बाकी के युवा कहा है यह सबके सामने अबतक यक्ष प्रश्न की तरह है !

आज जब फिर आम चुनाव सर पर है तो राहुल गांधी मैदान में है किन्तु इस बार उनके केंद्र में युवा नहीं गन्दी राजनीति है आज वह भी अन्य नेताओ की तरह दुसरो पर कीचड़ उछाल रहे है , और सत्ता की प्यास की बू उनकी जुबान से रही है !

कौन इन्हे समझाए राहुल जी युवाओ के हाथ में झुनझुना देना ,

सपनो का लॉलीपॉप पकड़ना  कही इस बार आपको महगा ना पड़ जाए !



मित्रो यह भी कहना गलत नहीं होगा की आज आम चुनाव 2014 में किसी भी बड़े

राजनितिक दल के पास कुशल नेतृत्वा क्षमता नहीं है ना ही कोई उनका कुसल मुखिया

ही है ! ऐसे में हमारी  नज़र देश की सिर्फ एक बड़ी राजनीतिक पार्टी पर जाकर ठहरती है

जिसका नाम भारतीय जनता पार्टी है और उसका मुखिया नरेंद्र भाई मोदी के रूप में  हमे दिखाई देता है , जिसे उसके समर्थक भगवान के रूप में पूज रहे है तो विरोधी जानवर, सैतान , खुनी , और भी जाने कितने नामो से सम्बोधित कर रहे है , उसके सत्ता में आने  का सिर्फ एक आधार है सबने अबतक सिर्फ कहा है और उसने 12 वर्षो में उसे कर के दिखाया है ! सबके पास कहने को बहुत कुछ है किन्तु उसके पास मॉडल के रूप में दिखने को बहुत कुछ है !



वर्ष  2014  का आम चुनाव कोई आम चुनाव नहीं है मित्रो यह बहुत ही खास चुनाव है

हमारे लिए , हमारे देश के लिए , हमारी युवा शक्ति के लिए , हमने बहुत उथल- पुथल भरी राजनीतिक पारी देखी है देश के भीतर उसका खमियाजा भी हमे बहुत दूर तक, बहुत देर तक भुगतना होगा ! अतः आओ आज हम सब मिलकर एक प्राण करे सही चुनेंगे , सभी चुनेंगे , देश हित के लिए चुनेंगे , जाति, धर्म , क्षेत्र , वर्ग , विशेष जैसी रूढ़ियों से ऊपर उठकर देश की उन्नति के लिए चुनेंगे ! कोई ऐसी भूल नहीं करेंगे जिससे एक तानासाही हुकूमत हमपर काबिज़ हो, जिससे देश के भीतर खतरे बढे , जिससे हमारी सीमा असुरक्षि हो , जिससे हमारे सैनिको का मनोबल घटे , जिससे दुनिया हमारे चुनाव पर उंगली उठाये ! आज भारत की सुरक्षा और उन्नति के बारे में सोचने का औसर है !  खुद को सच्चे भारतीय नागरिक होने के दाइत्वाबोध का औसर है ! आवो मिलकर हमसब स्वामी विवेकानन्द जी के अधूरे सपने को पूरा करे सभी संकीर्णताओं को भूलकर अगले 5 सालो के लिए एक अच्छी , स्थाई , सरकार का चुनाव करे !

प्रदीप दुबे


30/4/2014

pdpjvc@gmail.com




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