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Thursday, May 29, 2014

1971 के बाद जम्मू - कश्मीर



                                                                                 


1971 के बाद जम्मू - कश्मीर
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आज जब नए सिरे से तूल पकड़ रहा है भारतीय संविधान में जम्मू - कश्मीर के लिए विशेष रूप से प्रावधान किया गया अनुच्छेद  370, और इसके वजूद में रहने न रहने

पर बहस हो रही है तो ऐसे में एक आम भारतीय नागरिक होने के नाते मै भी अपने कुछ विचार साझा करना चाहता हूँ और इस मुद्दे को  25 मार्च सन 1971 से जोड़कर इसपर प्रकाश डालना चाहता हूँ  !
25 मार्च 1971 इतिहास का एक ऐसा पन्ना जिसे दुनिया एक नए देश बांग्लादेश के अभ्युदय के रूप में याद करती है एक ऐसे देश के अभ्युदय के रूप में जिसको अस्तित्व में लाने का और हज़ारो हज़ार बेगुनाहो के भविष्य को दिशा देने का श्रेय भारत को जाता है !

बांग्लादेश का अभ्युदय दो कारणों से हुआ एक तो पाकिस्तान का अपने ही एक भूभाग पूर्वी पाकिस्तान पर वहां के स्थानीय माशूम और बेगुनाह लोगो के बीच टेरर पैदा करना, उन्हें वहां से खदेड़ना और उन बेगुनाहो को  भारत में सरणार्थियो के रूप में सरण लेने को विवश करना !

दूसरा पूर्वी पाकिस्तान के स्थानीय लोगो को वहां से खदेड़ कर पूर्वी पाकिस्तान के साथ साथ जम्मू - कश्मीर पर भी अपना पूर्ण कब्ज़ा जमाने की मंसा थी !
पाकिस्तान की इस नियत को भापकर और बेगुनाह लोगो को न्याय दिलाने के लिए 1971 में भारत ने जो भूमिका निभाई कहना गलत न होगा की आज तक पाकिस्तान भारत की उस भूमिका से अपने भीतर उत्पन्न हुई तिलमिलाहट से उबर नहीं पाया है !

1947 में भारत पाकिस्तान का जो बटवारा हुआ और 14अगस्त 1947 को पाकिस्तान के  भूभाग एवं सीमा रेखा की जो घोषणा हुई  निश्चित रूप से पाकिस्तान उस बटवारे और उस सीमा रेखा से संतुष्ट नहीं था क्यू की उसकी मंशा पूर्वी पाकिस्तान के साथ - साथ जम्मू कश्मीर को भी अपने झंडे तले रखने की थी ! राजा हरी सिंह का आधी रात को पाकिस्तान भागने और अपनी रियासत जम्मू-कश्मीर का पाकिस्तान में विलय की चाल इसी कड़ी के अंतर्गत शामिल था दुर्भाग्य पाकिस्तान का की यह विलय संभव नहीं हो सका और उसे मुह की खानी पड़ी !

अपनी इस चाल के सफल न होने के बाद दुबारा पाकिस्तान ने एक कूटनीतिक चाल चली और पूर्वी पाकिस्तान में वहां के लोगो के भीतर दहसत और डर पैदा करना शुरू किया 1947 से लेकर 1968,69.और 70, तक पूर्वी पाकिस्तान पर इस उद्देस्य से कहर बरपाता रहा की वह वहां से भाग कर भारत में सरण लेंगे उनके ऐसा करने पर भारत प्रतिक्रिया ब्यक्त करेगा और भारत के प्रतिक्रिया बयक्त करते ही पाकिस्तान को युद्ध का मौका मिल जाएगा इस मौके के बाद पाकिस्तान जम्मू - कश्मीर पर कब्ज़ा कर लेगा ! अफगानिस्तान की सीमा को छुते हुए पश्चिमी पाकिस्तान से लेकर जम्मू - कश्मीर , पूर्वी पाकिस्तान तक एक क्षत्र उसका अपना राज्य होगा क्यू की पाकिस्तान को जम्मू - कश्मीर का भारत में होना 1947 से ही गवारा नहीं था ! वह मुग्लिस्तान चाहता था पश्चिमी पाकिस्तान से  जम्मू - कश्मीर लगायत पूर्वी पाकिस्तान तक अपना कब्ज़ा, अपना झंडा चाहता था !

1947 से 1969,70  तक एक लम्बी त्रासदी झेलने के बाद  इस त्रासदी के बिरुद्ध आवाज़ उठाने की कूबत अपने बीच लाने का पूर्वी पाकिस्तान में रह रहे लोगो ने  जो जज्बा दिखाया उस जज्बे को सही ठहरा कर जब भारत ने पूर्वी पाकिस्तान के हक़ के लिए उसे सहयोग करने की अपनी सहमति जताई और उनके आंदोलन को दिशा देने का निर्णय लिया तो पाकिस्तान को मानो अपने मन की मुराद पूरी होते हुए जान पड़ी उसने बिना बिलम्ब के पूर्वी पाकिस्तान में इस मनसे के साथ सेना उतार दिया की वह भारत के उस भूभाग को जो 1947 में कूटनीति के द्वारा भी उसका न हो सका को पाकिस्तान में मिला लेगा , और तीसरी दुनिया इस रणनीति में उसके अगल- बगल या साथ खड़ी होगी ! किन्तु यहाँ भी उसकी मनसा सफल नहीं हो सकी और उसे अपने अतिमहत्वपूर्ण भूभाग से हाथ धोना पड़ा , भारत के सहयोग से उसे जो करारी सिकश्त मिली और 25 मार्च 1971 में जिस प्रकार बांग्लादेश का अभ्युदय हुआ यह  पाकिस्तान के मुह पर एक ऐसा करारा तमाचा था भारत की ओर से जिसकी चोट, जिसकी तिलमिलाहट अबतक बनी हुई है पाकिस्तान के भीतर !

1947 से 70 तक तो पाकिस्तान ने जम्मू - कश्मीर के पाकिस्तान में विलय और मुग्लिस्तान के एकक्षत्र निर्माण हेतु अपनी कूटनीतिक गतिविधि जारी रखा  और इसमें तीसरी दुनिया को अपना रहनुमा अपना पक्षधर मानता रहा ! किन्तु 25 मार्च 1971 की अपनी सिकश्त और क्षति के बाद उसने एक अलग राह अख्तियार किया जम्मू - कश्मीर के मामले में उसने आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देना शुरू किया साथ ही जम्मू - कश्मीर के स्थानीय मुस्लिम कटरपंथियों और चरमपंथियों को अपने साथ जोड़ना शुरू किया उन्हें यह सपना दिखा कर की एक दिन आतंकवादी गतिविधि से त्रस्त होकर यहाँ से अल्पसंख्यक समुदाय पलायन करने को मजबूर होजायेगा और चरमपंथी कट्टरमुस्लिम    नेता अपने लिए एक अलग देश के रूप में जम्मू - कश्मीर की मांग करेंगे दुनिया के सामने वह जम्मू - कश्मीर में शांति बहाली की बात रखकर भारतीय सविधान के अनुच्छेद 370 का दुरूपयोग भी कर सकेंगे !

आज जिस तरह उमर अब्दुल्ला साहब अपने भाषणो में कह रहे है की अगर 370 नहीं तो जम्मू-कश्मीर नहीं इसका साफ़ मतलब है की 1971 के बाद पाकिस्तान के सह पर एक अलग देश के रूप में जम्मू-कश्मीर के निर्माण का जो सपना जो ख्वाब इन चरमपंथी कटरपंथी लोगो को दिखाया गया यह उसी चेन की अगली कड़ी है ! अब्दुल्ला परिवार हमेसा गद्दार की भूमिका में रहा है भारत के प्रति , और हमेसा अपने भीतर ये मनसा रखता आया है की जिस दिन जम्मू - कश्मीर का अलग देश के रूप में निर्माण हो जाएगा इस परिवार को नए देश के वज़ीरे आला के रूप में पदभार ग्रहण करने का मौक़ा मिलेगा !
इसी वज़ह से जम्मू - कश्मीर से कश्मीरी पण्डितो को ढूंढ़-ढूंढ़- कर भगा दिया गया ! हमेसा 370 को मुद्दा बनाया जाता रहा है !, अब्दुल्ला परिवार के  साशन में बने रहते हुए भी हज़ार बार भारतीय झंडे को जलाया गया , आतंकवाद को बढ़ावा दिया गया , कश्मीरी पंडितो को बेघर किया गया ,जो आज भी  पाकिस्तान की भाषा बोलता है ! जिसकी हुकूमत तानासाही हुकूमत के तौर पर जानी  जाती है वहां के लोगो के बीच और कश्मीरी पंडितो के लिए !  जम्मू - कश्मीर के भारत का अभिन्न अंग होते हुए भी जम्मू-कश्मीर में कही भारत नहीं दिखता इस तरह चरमपंथियों ने वहां माहौल बनाया हुआ है ! ! आज भारत के लिए मुद्दा 370 जितना बड़ा है उतना ही बड़ा मुद्दा है अब्दुल्ला परिवार भी है जिसका रिमोट कंट्रोल आज भी पाकिस्तान के हाथ में है और जिसे हर पल पाकिस्तान संचालित करता है

अनुच्छेद 370 पर बहस करने से पहले भारत सरकार को 25 मार्च  1971 को भी एक बार गौर से स्मरण करना होगा क्यू की भारत ने बांग्लादेश के निर्माण पर जो मुहर लगाई थी और पाकिस्तान को उसकी कूटनीतिक चाल से पराजित किया था उस पराजय का बदला लेना 1971 से लेकर अबतक पाकिस्तान का ध्येय बन चूका है ! वह हर हाल में जम्मू - कश्मीर के भीतर अस्थिरता बनाये रखना चाहता है जम्मू - कश्मीर की शांति को भंग   करते रहना चाह रहा है ! वहां के चरमपंथियों के साथ मिलकर आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है जिससे आम जनजीवन त्रस्त है , भूख , और बेरोजगार की भयावह स्थिति उत्पन्न हो चुकी है इससे मुक्ति के लिए युवा हाथो में हथियार पकड़ने को विवस है ! और अपने लिए शांति की मांग करते हुए अलग नियम - कानून के साथ अपनी जिंदगी बसर कर रहे है ! आज पाकिस्तान का मनसा जम्मू-कश्मीर पर कब्ज़ा करने की नहीं है बल्कि एक नए देश के रूप में जम्मू-कश्मीर का अभ्युदय चाहता है पाकिस्तान, और इसके लिए अब्दुल्ला परिवार हमेसा अग्रणी भूमिका निभाता आ रहा है क्यू की जब जम्मू - कश्मीर का अलग देश के रूप में गठन होगा उसकी सत्ता की बाग़-डोर अब्दुल्ला परिवार के ही हाथ में होगी ,

बेहतर होगा 370 पर बहस के साथ - साथ अब्दुल्ला परिवार की गतिविधि पर भी नज़र रखी जाए क्यू की जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है ! इसके साथ खिलवाड़ करने का किसी को हक़  नहीं , इसकी शांति सुरक्षा को जिस भी तत्व से खतरा है उस तत्व के प्रति भारत सरकार को गंभीर होना होगा ! धरती के इस स्वर्ग के साथ छेड़ - छाड़ करने वाले अराजकतत्वो को सबक सीखाना होगा ! उमर अब्दुल्ला का यह कहना बहुत गंभीर मायने रखता है भारत के लिए की 370 नहीं तो जम्मू-कश्मीर नहीं आखिर ऐसा कह कर उमर अब्दुल्ला अपनी कौन सी चाल को अंजाम देना चाहते है इसपर गंभीरता से सोचना होगा भारत सरकार को ! क्यू की अनुच्छेद 370 के तार को 25 मार्च 1971 के बाद हमेसा सह-मात और सह से जोड़कर देखता रहा है पाकिस्तान और अब्दुल्ला परिवार !

द्वारा 
 प्रदीप दुबे
pdpjvc@gmail.com

Monday, May 26, 2014

सम सेक्सी एंड हॉट इलेक्शन 2014





सम सेक्सी एंड हॉट इलेक्शन 2014


लोक सभा इलेक्शन (सम रियली वेरी इंट्रेस्टिंग स्टेज) न्यूज़ चैनल, न्यूज़ पेपर  देख देख कर मन भर गया लेकिन जिज्ञाषा अभी बाकि है. बहुत सारी नई पुरानी बाते सुनने और देखने को मिली सो आप से भी शेयर करना चहूँगा! कैंडीडेट और उनका ऐड करना भी काफी इंट्रेस्टिंग रहा !
ख़ास तौर पर यूथ पर फोकस जादा ही किया गया चाहे कोंग्रस हो या बीजेपी या लोकल  पार्टी सभी ने इस बार इलेक्शन 2014 मे अपनी जी जान क्रिएटिविटी के साथ इलेक्शन मे लगा दी फेसबुक, ट्विटर ने कुछ जादा ही अहम भूमिका निभाई तो वॉटसअप ने भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी !
अकसर देखने मे आया की अपनी अपनी पार्टी को सपोर्ट करते करते फेसबुक ट्विटर वॉर तक हुए जो कई बार निजिता को पार कर गए एक तरह पार्टी के नेता जी ने मच से सब को खुलेआम चुनती दे डाली तो वही उनके युवा समर्थक ने फेसबुक एंड मेनी मोरे सोशल नेटवर्किंग साइट पर खुली बहश मे खुल कर हिस्सा लिया !  हर किसी ने अपने कैंडिडेट या पार्टी को सपोर्ट करने के लिया एक अलग ही तरीका अपनाया !
कुछ अच्छे भी लगे कुछ बुरे भी कही कही चीजे बहुत वल्गर भी होती हुई दिखाई दी लेकिन इसे किसी को कोई फर्क नहीं पड़ा युवा जोश पूरी तरह से खुद को इस इलेक्शन मे इन्वॉल्व कर चूका था और इस बात का प्रूफ यही है की  वोटिंग पर्सन्टेज पिछली बार से जादा गेन हुआ  हर लोकशभा सीट - प्लेस मे वोटिंग पर्सन्टेज मे इजाफा हुआ है पिछली बार से जादा और कही कही 40 साल के रिकॉर्ड भी ब्रेक हुआ है
एक बात जो कुछ हद तक सिर्फ युवा को आकर्षित  करने के लिया की गई दोनों बड़ी पार्टी की तरफ से कोंग्रस और बीजेपी वो थी  कामुकता, सेक्स, मॉडल, सेमी न्यूड गर्ल का यूज़ अश्लील  पोस्टर फोटो शूट और अपने चुनाव निशान  के साथ उनका इस्तेमाल या किस मानशिकता की ओर इशारा करती है की आज का यूथ सेक्स या कामुकता का आदि हो गया है या या उसकी ज़रुरत बन गई है या फिर इस तरह के ऐड का सब से अच्छा तरीका विवाद ( कॉन्ट्रोवर्सी ) जिसका पूरा इस्तेमाल सभी पार्टी करती हुई नज़र आई  इन २ तस्वीर मे आप बिलकुल स्पस्ट देख सकते  है की दोनों सुन्दर गर्ल  खुद किस तरीके से परोसे रही है सिर्फ कुछ पैसो के लिया मना, या इनका पेश है.. फिर सोचा पार्टी …? फिर भी एक बार तो सोचना चाहिए था की ऐसी प्रमोशन ऐड से युवा मन मे क्या सन्देश जायेगा! लेकिन नहीं तो क्या ये ऐड युथ की डिमांड थी .... ये सोच आप की ! आखिर आज के युथ को इसी की क्या ज़रुरत जब बात कामुकता, सेक्स की हो तो युथ के पॉकेट मे हर वक़्त गूगल का सर्च अवेलेबल है! स्मार्ट फ़ोन के द्वारा हर यूथ  जिसमे देशी से विदेशी गर्ल्स की न केवल सेमी न्यूड, फुल न्यूड , पोर्न वेबसाइट यू टूब सब कुछ अवेलेबल है फिर ऐसे एड ऐसे प्रचार के पीछे की मानसिकता क्या हो सकती  है , विकास तो हर हाल मे चाहिए  देश के हर युवा को .!  फिर ये ऐड गुरु और हमरे महान पॉलिटीसन इस ऐड से किस विकास को दिखाना चाह रहे है अशीलता , खुद की मानसिकता  और किस विकास को दिखाना चाह रहे है..!  हाल मे ही -- रणवीर कपूर के कंडोम का ऐड ने खूब धूम बटोरी पूरे मार्किट मे शायद आप लोगो को याद भी हो ‘व्हेन  यू  हावे ग्रेट  सेक्स (‘When You Have Great Sex ) कुछ ऐसे ही..!  मार्केट बदल रहा है, तो हमारे युवा भी बदल रहे है. और राजनेता भी, अभिनेता भी वही करते हुए नज़र आ रहे है जो आज की युवा सच मे चहती  है-----
फिर युवा तो व्हिस्पर का एड देखना चहता  है  जो अविवहित है  वो चहते है की व्हिस्पर का एड जब भी दिखाया जाये तो या  फिल्माया जाये, आखिर मार्किट के इतने  बड़े ग्राहक को जो बाद मे पूरी लाइफ व्हिस्पर खरीद ख़रीद कर घर ले जाते है उनकी इच्छा का अपमान क्यों या फिर हम या कहे की रणवीर ने एक अच्छी शुरुआत की है उसमे उनको थोड़ा और आगे जाना चाइये था फिर वही कहूगा  यूथ जो अविवहित है फीमेल वो भी जानना चहती है आखिर कंडोम होता क्या है लगते कैसे है इसका यूज़ क्या है आदि आदि , ऐसा भी नहीं है की आज का युवा इतना मुर्ख है! उसे सब पता है सब जनता है टेक्नोलॉजी  से परिचीत है आकाश  मे जब युवा उड़ने की बात करता है तो उसे मालूम है पंख से नई ऐरोप्लॅन्स मे ही बैठ के उड़ा जायेग , फिर भी ऐड और मार्किट ने युवाओं को पूरा बेकूफ बना रखा है ब्रा के ऐड मे ब्रा पहने हुए एक सुन्दर सी सेक्सी लेडी आती है फिर पैंटी के एड मे भी सुन्दर सी सुपर सेक्सी फिगर के साथ कोई मॉडल आती है , अंडरवियर पहन पहना कर मेल मॉडल ने जॉकी से ले कर बहुत से नेशनल और इंटरनेशनल ब्रांड को सेल कर दिया  है! ऐड कर करा  के ऐड का जादू आज युवा के सर पर चढ़ कर बोल रहा है और इसी का नतीजा है की हर ऐड मे उसे फिल्माया जाता है - तो आज के युवा जो अपना भविष्य एक विकशित भारत  मे देख रहे है वो उम्मीद कर सकते  है की आने वाले समय मे व्हिस्पर और कंडोम दोनों को लगाना और इसका उपयोग अच्छे से हमरे ऐड गुरु दिखा कर सीखा कर ही सेल करेगे, कुछ ऐसा ही कोंग्रस और बीजेपी ने करने की कोशिस की है इन ऐड को देखने से तो यही लगता है काश की थोड़ी सद्बुद्धि आती इन बुड्ढे  नेता को जो अपने नाती पोते  के सामने इस तरह की तस्वीर दिखा रहे है चुनाव प्रचार के लिया बस यही काम पड़ा था बाकि तो सब कुछ कर चुके थे. इसे अच्छा तो न्यूड गर्ल पर बॉडी पेंट  करवा कर हाथ का निशान बना दिया जाता  जाता और बताया जाता की सारा काम हाथ से ही होता है और दूसर तरफ एक सेक्सी  सी कन्या के  खूबसूरत सरीर पर एक कमल खिला दिया जाता बॉडी पेंट के जरिये तो उसकी सुंदरता भी बढ़ जाती और आप का मकसद भी पूरा हो जता युवा जोश भी शयद उसे देख कर ठण्ड हो जाता और लोक तंत्र की जीत हो जाती .!
बाजार वाद और उस मे प्रचार ( ऐड ) की जो भूमिका है आज के टाइम पर वो किसी से छुपी नहीं हाल मे हे लोक सभा चुनाव २०१४ मे कई बार सुनने मे आया की मोदी गंजे को कंघी भी बेच सकते है तो या ब्रांडिंग ,मार्केटिंग और ऐड का हे जादू है  .! और आज के टाइम पर बहुत ही सुलभ भी है बस जेब मे पैसा और एक अच्छी टीम होनी चाइये फिर कुछ भी बेचा जा सकता  है और ऐसा ही कुछ हो भी रहा है हमरे ऐड गुरु ने तो बेशर्मी की हद ही बार कर दी है

प्रदीप दुबे ( आदि )





टू जी-थ्री जी और जीजा जी के बाद


जीजा जी ,बहन जी 


टू जी-थ्री जी और जीजा जी से  आप  सभी  परचित  होगे  लेकिन  आज  हम  आप  के  सामने  बहन  जी  पर  बात  करना  चाहते  है  बहन  जी  को  हल्के  मे  लेने  की  ज़रुरत नहीं   है  क्यों  की  बहन  जी  ही  वो   कड़ी   है  जो  सरकार  बनती -  चलती और गिरती  है  अपने  आप  मे  य  बहन  जी  सरकार  है  होम  मिनिस्टर से ले कर प्राइम  मिनिस्टर  तक  शयद  ही नहीं  यक़ीनन है,  ये 4 जी कोंग्रस के पतन का करण बानी  सभी  बातो  का  वृहद  चर्च  करना  ज़रूरी  है.!  आखिर  हार   का  विस्लेसन  हर  पार्टी  ने  अपने  अपने  हिसाब  से  किया  तो  आम  आदमी  का  भी  हक़  बनता  है  इस  पर  अपनी  बात या राय सुमरि  करने का सो  कह रहा हूँ  ( लेकिन  यहाँ  आम  आदमी  से  मतलब  आप  पार्टी  से  बिलकुल  नही  है  इस  लिया  ध्यान  दे  की  कजरी  बाबू  से  या  उनकी  टीम  के  बारे  म  कोई  चर्चा  नही होने  जा  रही   है  आम  आदमी  मीन्स  मैंगो  पीपल  जिसको  सभी  सिर्फ  चूसते  या  नीचोडते  है  जिनका  खून  भी  पसीने  की  तरह  बहता  है  और  दुःख  पहाड़  से  भी  जादा बड़ा  होता  है  यहाँ बात  इन्ही   आम  आदमी  की, जायेगी ), २ जी , ३ जी और जीजा जी पर भरी पड़ी बहन जी , बहन जी के साथ पंगा लेना मह्गा  पड़  गया कोंग्रस पार्टी को और सत्ता का सुख हाथ से निकल गया.!
अब यहाँ ऐसा लगता प्रतीति हो रहा है की आप सभी यहाँ बहन जी से मतलब बहन कुवारी मायावती जी से लगा रहे है इस आर्टिकल का सार ही बहन जी है न की मायावती जी , थोड़ा ध्यान केंद्रित करे तो बहन जी की महिमा जग जाहिर हो जाये गी इतनी शक्तिसाली  है हमरी देश की या बहन जी क्या बताये फिलहाल एक नज़र बाकि जी पर डालने के बाद पुन बहन जी की महिमा का गुड़गान  करने के लिया वापस आता हूँ
आज़ादी  के बाद से २०१४ तक भारत मे बार बार कोंग्रस की ही सरकार जादा देखने को मिली है देखे कौन कौन सत्ता मे था उस वक़्त और क्या क्या गुल खिलाये विकास भी हुआ घोटाला  भी और भी बहुत कुछ
हुआ बस होता ही गया गरीब और भी जादा गरीब आमिर और भी जादा आमिर.!  नेता जी मस्त पब्लिक त्रस्त हर तरफ सरकार घोटालो को करने मे, फिर उनको छुपाने मे व्यस्त , १०० सवालो की आबरू को बार बार कोंग्रस ने बचाया  चुप रह कर, और एक सूत्री कार्यक्रम घोटाला ,घोटाला और अंततः  घोटालो की सरकार बन कर विश्व कृतिमान  भी बनाया....!

Jawaharlal Nehru (1947–1964)
Gulzarilal Nanda (May–June 1964 and in January 1966)
Lal Bahadur Shastri (1964–1966)
Indira Gandhi (1966–1977, 1980–1984)
Rajiv Gandhi (1984–1989)
P.V. Narasimha Rao (1991–1996)
Manmohan Singh (2004–2014 )

टूजी स्पेक्ट्रम घोटाला स्वतंत्र भारत का सबसे बड़ा वित्तीय घोटाला है। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट के मुताबिक, यह घोटाला एक लाख छिहत्तर हजार करोड़ रुपये का है। इस घोटाले में विपक्ष के भारी विवाद के बाद संचार मंत्री ए राजा को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। साथ सुप्रीमकोर्ट ने इस मामले में प्रधानमंत्री की चुप्पी पर भी सवाल उठाया। टूजी स्पेक्ट्रम आवंटन को लेकर संचार मंत्री की नियुक्ति के लिए हुई लॉबिग के संबंध में नीरा राडिया, पत्रकारों, नेताओं और उद्योगपतियों की बातचीत के बाद सरकार कठघरे में..!
टूजी घोटालो के साथ ही भारत देश पर हुए प्रमुख घोटालो  पर एक सरसरी नज़र डाले तो आप को भी यकीन हो जायेग की या देश अपनी संस्कृति  के साथ   घोटालो के लिया भी जाना जाता है जय हो हिनुस्तान की
बोफोर्स घोटाला - 64 करोड़ रुपये
यूरिया घोटाला - 133 करोड़ रुपये
चारा घोटाला - 950 करोड़ रुपये
शेयर बाजार घोटाला - 4000 करोड़ रुपये
सत्यम घोटाला - 7000 करोड़ रुपये
स्टैंप पेपर घोटाला - 43 हजार करोड़ रुपये
कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला - 70 हजार करोड़ रुपये
2जी स्पेक्ट्रम घोटाला - 1 लाख 67 हजार करोड़ रुपये
अनाज घोटाला - 2 लाख करोड़ रुपए (अनुमानित)
कोयला खदान आवंटन घोटाला - 192 लाख करोड़ रुपये

अक्सर सुनने  मे आया की संसद मे ऐसा होता है वैसा होता है जैसे राज्य सभा की सदस्यता १ करोड़ में खरीदी जा सकती है।,संसद में प्रश्न पूछने के लिए पैसे लेना!,पैसे लेकर विश्वास-मत का समर्थन करना!,राज्यपालों, मंत्रियों आदि द्वारा विवेकाधिकार का दुरुपयोग!, साथ ही बहुत सी बाते जो मीडिया के माध्यम से ही लगातार सुनने और देखने को मिलती है भारत के (जनता) जान मानस को की हमरे नेता जी जो की मंत्रियों, सांसदों, विधायकों उनकी  सम्पत्ति एक-दो वर्ष में ही तीन -चार गुनी हो जा रही है.!

जीजा जी हे बताये उद्योग पतिया मे अपने आप मे अपवाद है महज कुछ ही सालो मे अरबपति बन गए ऐसा कौन सा बिज़नेस  करते है जीजा जी देश की जनता को बताये क्यों की पैसे की भूख  सिर्फ आप को ही नहीं सभी को है राहुल जो रिक्शा चलाता है दिन का २०० कमाता है वो भी २०० करोड़ कमाने की इच्छा रखता है बस फर्क इतना है वो देश का जीजा जी नहीं बन पाये क्या या उसकी गलती है या सराफत .!
भारतीय गरीब है लेकिन भारत देश कभी गरीब नहीं रहा" - ये कहना है स्विस बैंक के डाइरेक्टर का. स्विस बैंक के डाइरेक्टर ने यह भी कहा है कि भारत का लगभग 280 लाख करोड़ रुपये उनके स्विस बैंक में जमा है . ये रकम इतनी है कि भारत का आने वाले 30 सालों का बजट बिना टैक्स के बनाया जा सकता है.
घोटलो का देश भारत जहा आये दिन एक न एक घोटाला सामने आता है आखिर इतना घोटाला किस बात पर जहा देश की जनता से हाथ जोड़े जोड़े कर वोट मागे  जाते है उसके बाद लगातार सरकार मे रह कर मनमानी से वसूली या देश के विकास के साथ धोखा   कर कर के घोटलो को  अंजाम  देने वाले नेता जी हमरे महान देश के महान नेता, साबित क्या करने चाहते  है उनमे लाज शार्म हया समाप्त हो चुकी है
कोंग्रस ने बार बार कुछ ऐसे फैशले  अपनी आदूरदर्शिता  को दीखते हुए किया जिसका खामियाजा उसे इस बार देखने को मिला आम ज़रुरत की आम चीजो के साथ जो खिलवाड़ किया गया पेट्रोल डीज़ल    की बात ही नहीं  कर रहा हो , न ही सिंगरेट  या शराब  की..! आम आदमी की बहुत आम सी बात रसोई गैस की हो रही है जिसे हर बहन जी प्रभावित होती है चाहे वो सौखिया खाना बनती हो या परिवार के लिया रोज खाना पकती हो भारतीय नारी, माननीय सोनिया गांधी जैसा सौभाग ले कर पैदा नहीं हुई है की नौकरो की फ़ौज हो और बिना हाथ पैर हिलाये सब कुछ हाज़िर हो जाये आम घर आम जनता या आम परिवार की बात करे तो बात बहुत ही साफ़ हो जाती है २ सौ रुपये रोज का कमाने वाला जिसे ४ बच्चे और एक बीबी है शयद वो भी खाना खाने का उतना बड़ा अधिकरोि है जितना सोनिया गांधी या एक आम सोनिया नाम की बहन जी या रिक्शा चलने वाला राहुल या कोंग्रस के युवराज राहुल गांधी  दोनों मे अंतर सिर्फ इतना है की किसी के जेब   मे २०० सौ नहीं  होते पूरे दिन रिक्शा चलने के बाद तो यहाँ राहुल गांधी २ करोड़  से कही जादा एक रैली मे खर्च कर देते है बात को जादा न भटकते हुए सीधे मुद्दे पर आते है और रसोई गैस का महत्व पर बात करते है. एक टाइम था की उन्लिमटेड रसोई गैस हमे या आम राहुल जो की रिक्शा चालक है उसे मिला करती थी फिर 12 हुई फिर 6 हुई उस पर भी दुनिया भर का परपंच बैंक का झमेला रिफंड पैसा वह से मिलेग  वह से मिलेग या ब्लू बुक जिसके नाम पर है. वही गैस लेने जाये ग या फिर आइ ई डी  प्रूफ दिखा सिर्फ फोटो मिलान से काम नहीं  चलेगा  और भी तमाम प्रकर के नियम.! और आखिर मे लोकसभा चुनाव को ध्यान मे रखते हुए राहुल गांधी ने एक अहसान  किया और 6 से फिर 9  घरेलू गैस उपलब्ध करा कर जग जीत लिया और  सोचा की सत्ता दुबारा हाथ आते ही 9 से 3 कर दूगा कोई क्या कर लेगा.!  भारत हई -टेक हो रहा है जैसे- मुरली मनोहर जोशी  हई -टेक नेता बने और अपनी इलाहाबाद  की सीट गवाने के पीछे का सब से बड़ा कारन हई-टेक होना ही है शयद वो मुरली मनोहर जो न घर के रहे न घाट के फिर भी मोदी नाम का सहारा और मोदी के लिया बनारस की सीट छोड़ने का उनका फ़ायदा मिला वो कहते है न डूबते को तिनके का सहारा तो यहाँ तो मोदी नाम का पहाड़ ही खड़ा था मुरली मनोहर के साथ.!
हई टेक होना अच्छी बात बहुत अच्छी बात लेकीन अगर हई टेक जनता भी हो तब न इसका फ़ायदा मिलेग.  चुनाव आयोग या किसी राजनेता ने सोचा की या वोट पर्सन्टेज कभी 100 % क्यों नहीं   होता सोचने का और विमर्श करने का विषय  है क्यों की भारत   देश आज भी गाव मे ही बस्ता है और जहा शहर या जो नौकरी पेश हो गया वो गुलाम हो गया है उसके  पास फुर्सत ही नहीं अपने बीबी बच्चो के लिया फिर एक दिन की छुट्टी मिली तो वो बीबी बच्चो की शॉपिंग करेगे या देश के लिए वोट...  इस हई टेक राजनीती और हई टेक व्यवस्था का सीधा लाभ उन्ही को मिलता है जो लोकतंत्र का हिस्सा नहीं  बनते जो वोट डालना  चिलचिलती धूम मे बहार नहीं  निकलना पससंद करते हमरी बहन जी लोग जो वोट  लाइन लगा लगा कर देती है शयद सरकार या भूल जाती है बहन जी का भी कुछ योगदान है.! जो गावो मे बस्ती है जिनको आईटी , या हई- टेक से कोई मतलब नहीं  इनको सड़क बिजली पानी, हॉस्पिटल और रोजगार चाइये,  देश की हर बहन, बेटी, माँ जो सरकार रूपी भाई को वोट रूपी राखी हर 5 साल मे बांधती  है सिर्फ इस लिया की आप उनकी  रक्षा विकास और भारत माता के साथ न्याय  करोगे लेकिन गोवेर्मेंट बनते ही (टू जी-थ्री जी और जीजा जी ) जी का खेल  चालू हो जाता है बहन जी का वोट / राखी का महत्व शून्य हो जाता है और उनका घर मे खाना बनाए के लिया न तो गैस मिल पति है न सब्जी न ही दूध और न ही उनकी ज़रुरत का सामान सब्सिडी जारी रहती है और उसका फ़ायदा हई- टेक लोगो को मिलता रहता है राहुल और सोनिया जैसे लोग जो आमिर है वो  तो लाखो से करोड़  रोज कमाते है और दूसरी तरफ ही राहुल जो रिक्शा चलता है और घर पर सोनिया जो खाना बनती है उनको भुखमरी गरीबी मे ही जीवन चलन पड़ता है
आखिर क्यों एक नियम नहीं  बनता की सब्सिडी भी उन्ही को मिलेगी जिनको उसकी ज़रुरत है वोटिंग करना ही करना है ऐसा एक नियम क्यों नहीं  बनता!  जनसँख्या पर  रोक लगाने के लिया कोई नियम क्यों नहीं बनता हम २ हमरे २ बहुत सुना प्रचार प्रसार भी कुछ दसक पहले बहुत किया गया फिर उसे कानूनी जमा क्यों नहीं  पहना दिया  जाता वोट की राजनीती बंद क्यों नहीं  होती और विकास की बयार की बात क्यों नहीं  की जाती बताये सोनिया राहुल ही बताये.
आज लोकशभ चुनाव 2014 मे हार  जी ज़िमेदारी लेने की होड मचा राखी है मनमोहन राहुल और सोनिया ने फिर इन घोटलो की ज़िमेदारी क्यों नहीं  लिया गया अब तक! इस पर जांच बिठा कर लीपा पोती क्यों की जा रहे है आरोपी को जमानत पर रिहा कर के सारे पेपर गायब कर के जांच को प्रभावित करने के लिया..! हर आरोपी को खुला छोड़े दिया  गया है ! कभी घोटालो की वजह  से पार्टी की मीटिंग हुई हो ऐसी भी कोई खबर मीडिया पर नहीं आई आज तक और आज चुनाव हारने का दुःख मलाल जाहिर किया जा रहा है जब जनता ने आप को नाकार  दिया आखिर ऐसा क्यों हुआ आप ने क्या निष्कर्ष निकला इसे भी जनता के सामने सकर्वजनिक करे हार का कारण जो  कारण आप ने स्वीकार किया...!
कोंग्रस के नेता ने जब महात्मा गांधी जी की बात ही नहीं  मानी तो आम जान मानस की बात कैसे मानती या तो अब सभी जान चुके है महात्मा गांधी ने नेशनल कोंग्रस को आज़ादी के बाद समाप्त करने की बात कही तो फिर आखिर आज तक उनकी बात क्यों नहीं  मानी गई आज़ादी के 6 दशक बाद भी कोंग्रस का अस्तित्व इस बात की गवाही देता है की इनको सत्ता की भूख  है इनको सत्ता की लालच है सब कुछ गवा कर भी शासन की तड़प इनके भीतर ज़िंदा रहेगी आखिर जब आप के पास अधिकार था पावर थी देश का सञ्चालन कर रहे थे तो आप को नहीं पता चला की घोटाले हो रहा है ब्लैक मैकेटिंग हो रही है ब्लैक मनी को छुपाया जा रहा है भारतीय पैसा विदेशो मे जमा कर के उन्ही से भारत  को कर्ज दिया  जा रहा है आखिर नया क्या किया आप ने 60 सालो मे क्या बदलाव लाये आज़ादी के बाद देश खुद बदलना चाहता  था सो बदला.!आप ने क्या बदलाव किया वो बतातये आज सभी अच्छे दिन के लिया मोदी जी की तरफ नज़र लगाये बैठे है आप क्यों नहीं  ले कर आ पाये अच्छे दिन .! आप ने तो घोटाले कर कर के राते काली कर दी न बिजली न पानी न सड़क अच्छे दिन की कल्पना भी की तो बीजेपी ने आप ने क्यों नहीं की आप भी तो कर शकती थी,जनता को मुर्ख ख़ास कर के देश की बहन जी को मुर्ख बनाना बंद करना होगा! उनके वोट को राखी समझा  होता तो इतने घोटाले न हुए होते इतनी मेह्गाई न बड़ी होती और आज देश की सारी  बहन मिल कर कोंग्रस का सफैया न की होती हर परिवार मे बहन जी की ही चलती है जैसे संसद मे सोनिया जी की चलती थी तो एक को नाराज किया तो पूरा घर नाराज हुआ फिर पूरा गाव , पूरा जिला , पूरा प्रदेश , और अंत मे पूरा देश ही उठ खड़ा हुआ ! और अच्छे दिन आ गए और बहुत जल्दी अच्छी रात भी आ जाएगी .

प्रदीप दुबे

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