Translate

Friday, October 17, 2014

समृद्ध युवा शक्ति देश के विकास की प्रथम कड़ी




19 सदी का प्रथम चरण भारत जब चरम गुलामी कि बेड़ियों से जकड़ा था विकास की बात करना दूर - दूर तक सम्भव नहीं था ! ऐसे में एक युवा दार्शनिक ( दुनिया जिसे सन्याशी कहती हैं ) ने सदियों से गुलाम भारत के विकसित भारत बनने की बात कहीं थी और इस गुलाम से विकसित बनने की यात्रा में उसने भारत के युवाओ से जुड़ने का आह्वान किया था ! उस दार्शनिक को पता था की एक दिन भारत को विकास की चोटी पर ले जाने का श्रेय युवाओ को ही मिलना हैं ! भारत को समृद्ध भारत बनाने में सिर्फ देश का युवा ही सक्षम हैं ! यानी युवा को उसने ऊर्जा का श्रोत माना था और इस श्रोत का सतत सकारात्मक प्रयोग करने पर बल दिया था जी हा मै बात कर रहा हूँ स्वामी विवेकनन्द जी का एक ऐसा दार्शनिक जिसने युवा भारत का विकसित भारत का सपना देखा था युवा शक्ति युवा ऊर्जा  का देश के विकास हेतु सकारात्मक दोहन करना चाहा था ! हम जब उस युवा दार्शनिक की बातो पर सपने पर जाते हैं तो आत्मग्लानि के बोध के अलावा कुछ नहीं बचता हमारे पास क्यों की 4 जुलाई 1902 के बाद आज तक यानी 112  साल बीत जाने के बाद भी भारत में युवा शक्ति का सही मायने में देश के विकास हेतु सहयोग नहीं लिया गया न ही युवा शक्ति की दिशा दशा की तरफ क्रांतिकारी निर्णय ही लिया गया ! आज भी उस दार्शनिक की बात अधूरी हैं उसका सपना अधूरा हैं क्यों की युवा शक्ति का सदुपयोग अधूरा हैं ! और यही वज़ह है की स्वतंत्रता के 68 साल बाद भी भारत का विकास अधूरा है ! 

उन्नीसवी सदी के प्रथम चरण के बाद आज जब दुबारा इक्कीसवीं सदी के प्रथम चरण में विकशित भारत की बात शुरू हुई है तो युवा शक्ति के स्वस्थ दोहन की बात भी हो रही है ऐसे में आइये जाने कैसे युवा शक्ति का सदुपयोग करके भारत को विकसित बनाया जा सकता हैं - 
कैसे तय की जा सकती हैं विकास की यात्रा और कैसे देश की युवा ऊर्जा देश के काम आ सकती हैं ???? 
अगर हम युवा की परिभाषा गढ़ने चले तो हमारे सामने जो मानक आता है वह 18 से 40 की उम्र सीमा के ब्यक्ति को युवा के रूप परिभाषित करता है ऐसा करने के पीछे पुख्ता वजह भी है क्यों कि इस उम्र सीमा के ब्यक्ति के भीतर जोश, ज़ज़्बा,ऊर्जा, शक्ति, प्रबल कर्तब्यनिष्ठा, नए - नए प्रयोग परिक्षण करने की क्षमता निहित होती है,!  तर्क - वितर्क करना , त्वरित निर्णय लेना, हर काम को ऊर्जा के साथ करना , क्रांति और विकास का नया अध्याय लिखना, समय के साथ कदम दर कदम चलने का साहस एक युवा की सबसे बड़ी पूँजी और पहचान होती है  ! सही शब्दों में अगर कहे तो किसी देश के सर्वांगिड़ विकास का मॉडल होता है उस देश का युवा ! अगर सही मायने में युवा ऊर्जा, युवा शक्ति का उपयोग देश के विकास हेतु किया जाए तो युवा ऊर्जा देश का स्वस्थ भविष्य तय करने में सहायक शिद्ध होगी !  

आज जब एक बार पुनः विकसित भारत का सपना देखा जा रहा है तो ऐसे में भारत की युवा शक्ति को अनदेखा करना बड़ी भूल होगी ! क्यू की विकास की यात्रा बिना जोश , जज़्बे और युव ऊर्जा के सम्भव नहीं है ! यह बात 112 साल पहले   जितनी प्रासंगिक थी आज भी उतनी ही प्रासंगिक है ! 112  साल पहले भी युवा ऊर्जा को अनदेखा किया गया था और आज भी किया जा रहा है आज भी देश की युवा ऊर्जा भटकाव की तरफ है पलायन की तरफ है कुंठा और हीनताबोध की शिकार है ! देश का युवा यानी 18  से 40  वर्ष की उम्र भटकाव, फ्रस्ट्रेशन, आत्ममंथन, और उथल - पुथल भरी सोच एवं पलायन का सिकार है वह सिर्फ अपने लिए सोचने में अपने जीवन का ऊर्जावान समय जाया कर रहा है ! घोर हताशा - निराशा  के चलते वह देश के विकास की बात करने से कतराता है ! किन्तु युवा को लेकर जब हम देश की वर्तमान स्थिति वर्तमान पहलू पर नज़र डालते है तो पाते है की देश के भीतर वर्तमान समय में युवा के प्रवेश हेतु असंख्य विकल्पों के दरवाज़े खुले है आज देश का युवा राजनीति से लेकर अन्य हर क्षेत्र में जाने को स्वछन्द है मैंने स्वतंत्र शब्द न प्रयोग कर के स्वछन्द शब्द का प्रयोग किया युवा के लिए इसके पीछे जो वज़ह है वह यह की स्वछन्द युवा पर अंकुश नहीं है और न ही उसकी स्वस्थ दशा दिशा तय है जबकि उसके लिए विकल्प बहुत सारे है ऐसे में युवा ऊर्जा भटकाव का शिकार हो रही है वह हर क्षेत्र में यकायक बिना सुनियोजित तरीके के कूद पड़ती है और सुनियोजित न होने की वज़ह से, स्वस्थ मार्गदर्शन न मिलने की वजह से वह जल्द ही उस क्षेत्र से ऊब भी जाती है ऐसे में या तो वो पलायन कर लेती है अथवा उस क्षेत्र में असफल साबित होती है यह असफलता उसमे हीनभावना भर देती है ! अगर स्वछन्द की जगह युवा ऊर्जा स्वतंत्र हो , सुसंगठित हो , स्वस्थ मार्गदर्शन दिया जाए उसे उसके मनोभाव और इक्षाशक्ति को सही मायने में समझा जाए उसके जोश को सही दिशा में गति दी जाए तो यह युवा शक्ति सफलता के झंडे गाड़ देगी उस हर क्षेत्र में जहां उसका स्वस्थ दोहन किया जाएगा ! 
आज युवा शक्ति के भीतर जोश तो है लेकिन जोश के साथ आक्रोश भी है जोश के साथ आक्रोश का होना ठीक बात नहीं है ! किन्तु यह आक्रोश निराधार नहीं है इसके पीछे असंख्य वजहें भी है ! युवाओ के लिए देश में संसाधनों की कमी नहीं है न ही सम्भावनाओ की ही कमी है अगर कमी है किसी चीज की तो वह है युवा शक्ति को उन संसाधनो के दोहन के लिए सुनियोजित ढंग से तैयार न किये जाने की ! युवा ऊर्जा का समुचित उपयोग देशहित में तभी हो सकता है जब उनके भीतर से आक्रोश ख़त्म किया जाए ! और उन्हें प्लेटफार्म के साथ - साथ स्वस्थ वातावरण भी उपलब्ध कराया जाए !  इसके साथ ही उनमे सकारात्मक सोच विकसित की जाए यह कार्य केवल और केवल देश की बुज़ुर्ग पीढ़ी के द्वारा ही सम्भव है यानी पहाड़ी नदी जैसा जोश रखने वाला युवा को अनुभवी लोगो के कुशल दिशानिर्देशन की जरुरत है ! जरुरत है युवा शक्ति को सही दिशा में मोड़ने की ! आज हमारे देश में युवा पीढ़ी और बुज़ुर्ग अनुभवी पीढ़ी के बीच एक मूक द्वन्द चल रहा है जो देश के विकास की यात्रा में सबसे बड़ा बाधक बना हुआ है ! अनुभवी पीढ़ी सहज नहीं है युवा पीढ़ी के प्रति और युवा पीढ़ी अनुभवी पीढ़ी के सामने गिड़गिड़ाना नहीं चाहती अतः एक ईगो का शिकार है तो दूसरा कुंठा का और दोनों के बीच का ये अंतर्द्वंद ख़त्म हुए बिना युवा ऊर्जा का सही दिशा में प्रयोग असंभव है ! 
युवा शक्ति को पलायन से रोकने की जरुरत है क्यों की हाल के कुछ वर्षो में तेज़ी से यह देखने को मिला है की भारत की युवा मेधा युवा शक्ति विदेशो में पलायन कर रही है वजह साफ़ है वहाँ  उसे अपनी मेधा अपनी ऊर्जा का सकारात्मक प्रयोग करने हेतु प्लेटफॉर्म मिल रहा है ! 
किन्तु युवा शक्ति के युवा मेधा के पलायन से देश की क्षति भी हो रही है ! साथ ही देश के विकास पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न भी खड़ा हो रहा है ! 

भारत को अगर इस प्रश्नचिह्न पर रोक लगानी है और तय करनी है विकासशील से विकसित की श्रेणी में खड़े होने की यात्रा तो तय करना होगा नए सिरे से देश हित में युवा शक्ति का सकारात्मक दोहन ! रोकना होगा मेधा का पलायन ! युवा वैज्ञानिक, युवा खिलाड़ी , युवा व्यवशाई, युवा नेता , युवा किसान, युवा साहित्यकार, युवा कलाकार , युवा बेरोजगार , युवा महिलाओ , के मनोभाव और  जरूरतों पर गंभीर होना होगा ! उन्हें, निराशा और हताशा से बाहर निकलना होगा उनकी मेधा उनकी ऊर्जा का सही दिशा में दोहन करना होगा, 18 वर्ष से 40 वर्ष की युवा ऊर्जा का सतर्कता से स्वस्थ तरीके से सही दिशा में सहयोग लेना होगा इस आयु वर्ग के लिए विशेष नीति बनाई जानी होगी ! अनुभवी प्रौढ़ पीढ़ी का स्वस्थ दिशानिर्देशन भी देना होगा युवा ऊर्जा को और उन्हें संसाधनो से जोड़ने पर भी बल देना होगा ! 
युवा पीढ़ी को अनुभव कराना होगा की वह देश के विकास की प्रथम और सबसे ताकतवर कड़ी है ! बिना उसके सहयोग के देश की उन्नति सम्भव नहीं है ! न ही सम्भव है विकासशील भारत का विकसित बनना ही
किसी ने सही कहा है उस ओर ज़माना चलता है जिस ओर जवानी ( युवा शक्ति ) चलती है ! तो 
आईये 112 साल बाद ही सही एक युवा दार्शनिक का सपना साकार करे , भारत को युवा ऊर्जा के सकारात्मक दोहन द्वारा विकसित देश बनाने की ओर अग्रसर हो ! युवा मेधा युवा ऊर्जा के आधार पर 
एक युवा ऊर्जावान विकसित भारत का निर्माण करने का संकल्प ले ! युवाओ के भीतर निर्माण का सपना सजाये, उन्नति का बीज बोयें, सही मायने में इसके बाद ही स्वस्थ विकसित भारत का सपना साकार होगा , देश का हर युवा निर्माण का प्रतीक बनेगा, निर्माण का प्रयाय बनेगा और पूरी निष्ठां के साथ, ईमानदारी के साथ अपना सौ प्रतिसत देश को देगा ! 
द्वारा - 
प्रदीप दुबे

No comments:

Post a Comment