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Tuesday, November 8, 2016

बस याद याद याद

है खबर मुझे ऐ मेरी ज़िन्दगी 
दिन -ए - गर्दिश के यूं ही गुजर जायेगे 
जिन राहों से आज रहबर है हमारी 
निशान - ए - कदम दूर - दूर तक नज़र नही आएंगे । 
गर बचेगा पास कुछ तो बस याद याद याद 
बाकी सब झुर्रिया बनकर चेहरे पर उभर आयेंगे ।
वक्त लिए जा रहा है हम अपने कांरवा के संघ :
हम जिस मोड़ पर खड़े है,
आज ओ मोड़ मुड़कर फिर ना आयेंगे ।
आओ जी ले जी भर के आज
कल - कल - होगा , आज ना होगा फिर,
ये फांका- कसी की बे- तकल्लुफी
ये गर्दीशो की यायावरी
फिर ना लौट कर आयेगी ।

______________________आदि परौहा

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