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Tuesday, November 8, 2016

राजनीति

जब चेरि छोड़ नाही बनबो रानी...?
राजनीति वह कुल्टा है जो सत्तर भता----र--र के बाद भी भटकती रहती है ।
और आज उस कुल्टा की दासी पत्रकारिता हो चुकी क्या आप मेरी इस बात से इनकार कर सकते है ?
क्या 1984 के बाद पत्रकार निरपेक्ष रह गया है ? दोनो की बात कर रहा हूं चैनल और प्रिंट मीडिया दोनो की ।
भारत कृषि प्रधान देश है 82 प्रतिशत आबादी भारत के गांवों मे रहती है । 
क्या दो प्रतिशत खबर भी रोज के अखबार मे या न्यूज चैनल पर गांव या किसान की होती है ।
ईईई ससुर के नाती दो कौड़ी के पेड न्यूज चैनल और पत्रकार जेका खातिर दू - चार दिन से फेसबुक, ट्वीटर व्हात्सप्प, पर विद्वत जन सिरफुटौवल कर रहे है इनके भीतर कब्बो गांव, किसान, के लिए कऊनो पत्रकार जागा ।
हमका बतावो लल्ला चुनाव जीतने के बाद कऊनो ससुर मुख्यमंत्री कबहू एक दिन एक रात कवनो गांव मे गुजारा ? नाही ना इका वजह का हुईंहअ तुमका हमका सबका पता हौं ।
सब बिके है नेता अखबार सब ई वजह से अब मांथा पच्ची बन्द करा । और मुर्गी के अंडा जइसन पैदा पेड न्यूज चैनल और ससुर नेता लोगन से दूर रहा ।

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