अगर प्यार नहीं है तो
उसका ज़िक्र क्यों ?
और अगर प्यार है तो
फिर फिक्र क्यों !!
प्यार को सिर्फ बातों
में कहे-सुने ही नहीं बल्कि
इसे ज़िंदगी के कठिन
और दुरूह रास्तों पर चलते हुए महसूश भी करे ! आपका प्यार आप के इर्द - गिर्द
आपके आस-पास आपके लिए
सुरक्षा कवच बनकर आपकी सुरक्षा में खड़ा मिलेगा,
भले ही वह आपसे हज़ारों मील दूर क्यों ना हो ! सच्चा प्यार ही
हमे गर्दिश में
संभालता है और हमारा हाथ पकड़ कर अकेले ना होने का हमे ऐहसास भी कराता है
! सच में प्यार ईश्वरीय होता है, प्यार
पूजा होता है, सच्चे
प्यार में ही
इतनी शक्ति निहित होती है की वह किसी को भगवान तो किसी को याचक बना देता है
!
द्वारा
प्रदीप दुबे
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