ज़माने को समझने में
मैं कल भी कच्चा था
आज भी कच्चा ही हूँ ...
मैंने तो समझा था
सिर्फ खुशी बिकती है यहाँ
ये तो वो दयार है जहां
दर्द पर भी चाट मसाला लगा कर
बेच देते है लोग ............
और चटखारे लेकर
चट करने वालो की
लम्बी फेहरिस्त भी सामने
दिखती है !!
प्रदीप दुबे
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