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Monday, February 17, 2014

जीवन यात्रा है यह 
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जीवन यात्रा है यह 
तय नहीं कुछ भी इसमें होता 
चलते - चलते - इस पथ पर 
निर्माण भी करते है हम 
और बिध्वंस भी ......... 
नाश और निर्माण की ........ 
यह राह नहीं है 
सहज - सहज 
चलकर इसपर 
कितने ही हारे ........ 
इस राह में प्यारे 
कभी मिलेगा 
भरा प्याला ...
तो - 
कभी मिलेगा -
खाली ही खाली ........ 

जीवन का राज़ समझकर इसमें 
पी लेना तुम 
इसको प्यारे 
छोड़ न देना - 
इस मय सागर को 
तोड़ न देना - 
मदिरा के इस मदिरालय को ....... 

मिले प्याला जब - 
भरा - भरा 
थोडा सा देना छलका 
लगे प्याला जब - 
खाली ही  खाली 
आँखों के दरिया में 
बहते दुःख के मय को 
देना तुम इसमें ढलका ....... 

सुख की मस्ती -  
दुःख की मस्ती -  
होती दोनों की - 
अपनी मस्ती ही मस्ती प्यारे ............. 

पी लेता है  जो -
जीवन के इन दोनों ही प्यालों को 
उस पथिक की - 
यात्रा ही सफ़ल यात्रा है  ...... !! 

द्वारा - 
प्रदीप दुबे 

(( मेरे काव्य संग्रह - यात्रा - से मेरे सुधि पाठको के लिए सप्रेम ) )  

बिना मेरी अनुमति  के कृपया मेरी कोई रचना मेरे ब्लॉग से ना उठाये

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