जीवन यात्रा है यह
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जीवन यात्रा है यह
तय नहीं कुछ भी इसमें होता
चलते - चलते - इस पथ पर
निर्माण भी करते है हम
और बिध्वंस भी .........
नाश और निर्माण की ........
यह राह नहीं है
सहज - सहज
चलकर इसपर
कितने ही हारे ........
इस राह में प्यारे
कभी मिलेगा
भरा प्याला ...
तो -
कभी मिलेगा -
खाली ही खाली ........
जीवन का राज़ समझकर इसमें
पी लेना तुम
इसको प्यारे
छोड़ न देना -
इस मय सागर को
तोड़ न देना -
मदिरा के इस मदिरालय को .......
मिले प्याला जब -
भरा - भरा
थोडा सा देना छलका
लगे प्याला जब -
खाली ही खाली
आँखों के दरिया में
बहते दुःख के मय को
देना तुम इसमें ढलका .......
सुख की मस्ती -
दुःख की मस्ती -
होती दोनों की -
अपनी मस्ती ही मस्ती प्यारे .............
पी लेता है जो -
जीवन के इन दोनों ही प्यालों को
उस पथिक की -
यात्रा ही सफ़ल यात्रा है ...... !!
द्वारा -
प्रदीप दुबे
(( मेरे काव्य संग्रह - यात्रा - से मेरे सुधि पाठको के लिए सप्रेम ) )
बिना मेरी अनुमति के कृपया मेरी कोई रचना मेरे ब्लॉग से ना उठाये
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