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Monday, February 17, 2014

जीवन तो बस धूप - छांव

जीवन तो बस धूप - छांव 
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जीवन तो - 
बस धूप - छांव ...... 
कही जुआ -कही - दांव ...... !

निरवता की यात्रा है यह ......  ( निरवता का मतलब शून्यता ) 
इस यात्रा में - 
कहीं - 
धूंआ कहीं आग ............. !

बच्चो की - 
माशूम हसी है 
जीवन ,.............. 
आँखों की दरिया में - 
दर्द की नमी है - 
जीवन ..................... 
इसकी यात्रा - 
खट्टी - मीठी 
चखने का - 
बस अपना स्वाद .......... !! 

जीवन तो है - 
साकी के हाथों का प्याला 
मैखाना है यह ............
यह हाला है ......... 
कभी भर के छलके 
तो - 
कभी अभाव .............. !!! 

विस्मृत यादों की - 
एक कड़ी है - 
जीवन , 
काँटो बीच - 
खिले गुलाब की - 
पंखुड़ी है - 
जीवन ........... 
रंग में इसके - 
रंगते जावो  , 
साथ समय के - 
बहते जाओ , 
जीवन के इस रण में - 
महा प्रलय के महा समर में 
यात्रा इसकी - 
बड़ी कठिन है ........ 
कहीं सृजन 
तो - 
कहीं नाश , ................ !!!! 

द्वारा - 
प्रदीप दुबे

 

(( मेरे काव्य संग्रह - यात्रा - से मेरे सुधि पाठको के लिए सप्रेम ) )  

बिना मेरी अनुमति  के कृपया मेरी कोई रचना मेरे ब्लॉग से ना उठाये

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