जीवन तो बस धूप - छांव
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जीवन तो -
बस धूप - छांव ......
कही जुआ -कही - दांव ...... !
निरवता की यात्रा है यह ...... ( निरवता का मतलब शून्यता )
इस यात्रा में -
कहीं -
धूंआ कहीं आग ............. !
बच्चो की -
माशूम हसी है
जीवन ,..............
आँखों की दरिया में -
दर्द की नमी है -
जीवन .....................
इसकी यात्रा -
खट्टी - मीठी
चखने का -
बस अपना स्वाद .......... !!
जीवन तो है -
साकी के हाथों का प्याला
मैखाना है यह ............
यह हाला है .........
कभी भर के छलके
तो -
कभी अभाव .............. !!!
विस्मृत यादों की -
एक कड़ी है -
जीवन ,
काँटो बीच -
खिले गुलाब की -
पंखुड़ी है -
जीवन ...........
रंग में इसके -
रंगते जावो ,
साथ समय के -
बहते जाओ ,
जीवन के इस रण में -
महा प्रलय के महा समर में
यात्रा इसकी -
बड़ी कठिन है ........
कहीं सृजन
तो -
कहीं नाश , ................ !!!!
द्वारा -
प्रदीप दुबे
(( मेरे काव्य संग्रह - यात्रा - से मेरे सुधि पाठको के लिए सप्रेम ) )
बिना मेरी अनुमति के कृपया मेरी कोई रचना मेरे ब्लॉग से ना उठाये
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