((मै नदी -नदी ))
......................
नदी, नदी, मै नदी , नदी
जीवन पथ पर
उफनाती - उतराती
मै नदी नदी .............. !!
सावन - सावन ....
भादों - भादों .......
जेठ तपिश
मै नदी - नदी ...........!!१!!
वो सागर है .....
वो खारा है ..........
जग ऐसा उसको कहता है ...
प्रदीप .............
मिलना उससे ध्येय मेरा .....
मै बहती हूँ सदियों -
सदियों से उसके खातिर ..
गति - चाल -समय -
सबको बांधे अपनी धारों में
मै नदी नदी ...................... !२!
जिस क्षण - छूटी थी
गिरी की बाहों से ( जन्म के बाद )
था अस्तित्व मेरा -
बस नदी नदी .......
उस क्षण -
पहचान नहीं थी मेरी कोई
जैसा जिसको भाया ........
उस नाम सभी ने मुझे बुलाया -
कही पाप नाशिनी गंगा ,
कही जीवन दायनी यमुना ,
कही ज्ञान - विज्ञान सरस्वती ,
कही कर्मनाशा ( जिस घर में बेटी को अभिशाप समझा जाता है उसके लिए )
अपने परिचय ...
अपने नामो से
अनजान मै
युग-युग से .......
युग युग तक
बहती आई हूँ
बहती जाउंगी .........
बनकर बस .......
नदी नदी ............ !!३!!
स्पंदन मेरा अविरल है .....
अवरोधन तेरा असफल है ......
तुम काल-चक्र हो
चलते जाओ अपनी चालें.....
मै जीवन साँसों में घुली ......
जीवन रथ लेकर ...
जीवन पथ पर -
गीत अमरता के गाते ......
सागर तक जाउंगी ........
होकर नदी - नदी ............. !!४!!
मै झरना ,
मै सागर ,
जीवन साँसों में पग धरती आई हूँ ...
मै नदी नदी ..................!!५!!
द्वारा -
प्रदीप दुबे .......
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